फतहसागर झील हादसा: जब एक हीरो ने 34 ज़िंदगियां बचा लीं
उदयपुर – सोमवार की शाम उदयपुरवासियों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं थी। फतहसागर झील पर सैर का आनंद ले रहे 34 पर्यटकों की ज़िंदगी अचानक खतरे में पड़ गई, जब मौसम ने करवट ली और झील की लहरें बेकाबू हो गईं। लेकिन इसी अराजकता के बीच एक नाम उभरा जिसने ना सिर्फ स्थिति को संभाला, बल्कि खुद को एक सच्चा हीरो साबित किया – कैलाश मेनारिया।
जब क़ुदरत का कहर बरपा
सभी पर्यटक नाव की सवारी का आनंद ले रहे थे कि तभी तेज़ आंधी चलने लगी। झील की सतह पर लहरें उठने लगीं और नावें डगमगाने लगीं। महिलाएं चीखने लगीं, बच्चे डर से रोने लगे। स्थिति इतनी भयावह हो गई कि बोट ऑपरेटर तक घबरा कर मौके से भाग निकले।
और तब आए कैलाश मेनारिया
सिविल डिफेंस की रेस्क्यू टीम को सूचना मिली और तुरंत मौके पर भेजा गया एक अनुभवी नाव चालक – कैलाश मेनारिया। पावर बोट के साथ पहुंचे कैलाश ने न सिर्फ पर्यटकों को भरोसा दिलाया, बल्कि तीन चक्कर लगाकर एक-एक कर सभी 34 पर्यटकों को सुरक्षित बाहर निकाल लाए।
एक नहीं, कई बार साबित की है वीरता
कैलाश मेनारिया कोई आम नाव चालक नहीं हैं। वे राज्यस्तरीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं और राजस्थान में इकलौते पावर बोट हैंडलिंग लाइसेंस धारक हैं। अब तक अपने करियर में 112 लोगों को मौत के मुंह से निकाला है और 400 से अधिक शवों को झीलों से बाहर निकाल चुके हैं। उदयपुर ही नहीं, पूरे संभाग में उनके रेस्क्यू अभियानों की चर्चा होती है।
जनता का आक्रोश और प्रशासन की जिम्मेदारी
हादसे के बाद शहर में गुस्से की लहर दौड़ गई। लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि जब मौसम साफ नहीं था, तब नावें चलाई ही क्यों गईं? प्रशासन के पहुंचने पर बोट संचालक कंपनी ने मौसम की अनपेक्षित खराबी का बहाना बनाया, जबकि प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि मौसम पहले से ही बिगड़ने के संकेत दे रहा था।
सख्त कार्रवाई की मांग
शहर के विधायक ताराचंद जैन और ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा ने इस लापरवाही को गंभीरता से लिया है और बोट संचालन का ठेका रद्द करने की मांग की है।
अब क्या कदम उठाए गए हैं?
जिला प्रशासन ने यूडीए को हादसे के कारणों की गहन जांच के निर्देश दिए हैं। साथ ही यह भी कहा गया है कि अब सूर्यास्त के बाद या खराब मौसम में किसी भी हाल में नाव संचालन नहीं किया जाएगा। सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन अनिवार्य किया गया है।